रामदेव जी की वाणी
आदि महापमा सचिया धर्म आद रा मेला, मकर तणा पंथ पछे हुआ ॥
असंग जुगां पहले आरम रचिया, ओमकार से रणुकार हुया ।
मुख में उठ मम्माई बोली भंवर गुफा भणकार भया ।
शक्ति ने एक पंथ उपाया, अभी तणा कुंवारा भया ।
इण्ड फोड़ ब्रह्माण्डरचाया धरा आमर दाता जोड़ लिया ।
जागत बैठत सोवत नहिं लागे, कोन पुरुष का नेम लिया ।
हाथां री हथेली रा दाता वचन पालिया, ब्रह्मा विष्णु महेश भया ।
पांच सन्त मिल कांकण बांधिया, सही भजन रा नेम लिया ।
अलख निरन्जन घट में बैठा, पहली नेम महादेव लिया ।
लिंग भंग दो गोती कहाया, सतबादी साधू साध रिया ।
भंग से भंगवा तुरत उपाया, पहली भेक भगवान लिया ।
आद मंडाण मूल से मांडिया, काना सुणे ज्यांरा पाप झड़े ।
मछंदर प्रताण जति गौरख बोले एक मन ध्यावे ज्यांरा काज सरे ।
असंग जुगां पहले आरम रचिया, ओमकार से रणुकार हुया ।
मुख में उठ मम्माई बोली भंवर गुफा भणकार भया ।
शक्ति ने एक पंथ उपाया, अभी तणा कुंवारा भया ।
इण्ड फोड़ ब्रह्माण्डरचाया धरा आमर दाता जोड़ लिया ।
जागत बैठत सोवत नहिं लागे, कोन पुरुष का नेम लिया ।
हाथां री हथेली रा दाता वचन पालिया, ब्रह्मा विष्णु महेश भया ।
पांच सन्त मिल कांकण बांधिया, सही भजन रा नेम लिया ।
अलख निरन्जन घट में बैठा, पहली नेम महादेव लिया ।
लिंग भंग दो गोती कहाया, सतबादी साधू साध रिया ।
भंग से भंगवा तुरत उपाया, पहली भेक भगवान लिया ।
आद मंडाण मूल से मांडिया, काना सुणे ज्यांरा पाप झड़े ।
मछंदर प्रताण जति गौरख बोले एक मन ध्यावे ज्यांरा काज सरे ।
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