मंगलाचरण सतगुरु गरीब साहिब जी
|| सदगुरू कबीर साहिब की जय || बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब की
वाणी
|| मंगलाचरण || गरीब, नमो नमो सत्पुरूष कें, नमस्कार गुरू कीन्ह ही ।
सुर नर मुनि जन साधवा, संतों सरबस दीन्ह हीं [1] | सतगुरू साहिब संत सब, डण्डौतम् प्रणाम । | आगे पीछे मध्य हुये, तिन कू जां कुरबान
।
नराकार निरबिषं, काल जाल भय भंजनं ।
निरलेपं निज निरगुणं, अकल अनूप बेसुन्न धुनि ॥
सोहं सुरति समापतं, सकल समाना निरति लै
उज्जल हिरम्बर हरदमं, बेपरवाह अथाह है,
वार पार नही मध्यतं||गरीब जो सुमरत सिद्धि होई,
गण नायक गलताना।।
करो अनुग्रह सोई, पारस पद प्रवाना
आदि गणेश मनाऊँ, गण नायक देवन देवा।
चरण कमल ल्यौ लाऊँ, आदि अंत कर हूँ सेवा |
परम शक्ति संगीतं, रिद्धि सिद्धि दाता सोई ।।
अविगत गुणह अतीतं, सत्यपुरूष निर्मोही ।7।।
जगदम्बा जगदीश, मंगल रूप मुरारी।
तन मन अरपू शीशं, भक्ति मुक्ति भंडारी ।
सुरनर मुनिजन ध्यावें, ब्रह्मा विष्णु महेशा ।
शेष सहंस मुख गावें, पूर्जी आदि गणेशा ।
इन्द्र कुबेर सरीखा, वरूण धर्मराय ध्यावें ।।
समरथ जीवन जीका, मन इच्छ्या फल पावै ।
तेतीस कोटि अधारा, ध्यावें सहंस अठासी।
उतरै भौ जल पारा, कटि हैं जम की फांसी ।।
सत साहिब जी ||
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